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देने की कला

      

         देने की कला By akaroundworld

   प्रश्न -क्या जिसे देने की कला आ गयी, फिर उसे किसी चीज की कमी नहीं रहती ?

  विश्लेषण-यह मनोवैज्ञानिक वचन है। कमी किसे रहती है, जिसकी चाहत समाप्त नहीं होती। जिसकी चाहत समाप्त नहीं होगी वह तनाव में जीयेगा। 

सब कुछ अपने हाथ में है सुखी रहना चाहो  या दुखी रहना चाहो  यह आप पर निर्भर करता है । इसलिये इस सुख दु:ख के लिये किसी देवी देवता या ईश्वर के ऊपर आश्रित रहने की व दोष देने की जरूरत नहीं है। 

सवाल मात्रा का नहीं है। कितने ही भंडार भरे हों, वह भंडार उसे दिखाई ही नहीं देगें। वो कहता है, जो है वह तो कुछ भी नहीं है, दूसरे के मुकाबले। उसके मुकाबले तो गरीब ही हूँ। उसकी दृष्टि अभाव की तरफ मुड़ जाती है, और दुखी होता है।
 मन का स्वभाव है जो वर्तमान में है, उससे दूर भागना। जो नहीं है, उसके लिए भूत भविष्य में कल्पना करना। इसलिए यह मनोवैज्ञानिक वचन है ।
                   
                 Ajay kumar (akaroundworld)

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