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अकेला होना क्यों अच्छा है ?

            अकेलापन क्यों महत्वपूर्ण है ?



जागरूकता  कभी झुंड में नहीं आएगी, जागरूकता
अकेले रहने और चलने का नाम है अगर आप को शेर की तरह दहाड़ना है तो अकेले रहना सीखना पड़ेगा !

भेड़ की तरह झुंड में रहने से सिर्फ सुरक्षा का भाव आता है हकीकत में वह झूठा और नकली दिलासा होता है !  उदाहरण के लिए यदि आप देखेंगे की बकरियां और भेड़े हमेशा क्रमबद्ध तरीके से झुंड में चलती हैं और दूसरी तरफ शेर हमेशा अकेले ही अपना दाना पानी तलाश  करता है !

वैसे कई बुद्धिजीवियों का सुझाव यह होता है कि सुरक्षा का भाव तो सिर्फ झुंड में ही आ पाता है  लेकिन  मेरे  अनुसार दूसरों की शक्ति को अपनी शक्ति समझना अपने आप को धोखा देने के बराबर है ! उदाहरण के लिए एक लोकतांत्रिक देश में एक राजनीतिक पार्टी अपने फायदे के लिए लोगों का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए करती है और वही लोग उस राजनीतिक पार्टी को चुनाव में मात देने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं इसीलिए दूसरों की शक्ति को अपना कभी नहीं समझना चाहिए !

 अकेलापन क्यों  महसूस होता है?

जब कभी भी इंसान अकेला होता है, यकीनन उसके मन में डर का माहौल उत्पन्न हो जाएगा यह डर होना वास्तविकता है  यह ठीक वैसा ही है जब कोई पर्वतारोही पहली बार अकेला ही किसी ऊंचे पहाड़  पर चढ़ने की कोशिश कर रहा हो या फिर कोई इंसान अकेला ही पहली बार जंगल में शिकार के लिए निकल पड़ा हो !

इंसान कब तक भीड़ में रहेगा एक ना एक दिन तो उसे अकेला होना ही पड़ेगा इंसान को अकेले रहने की आदत से रूबरू होना ही पड़ता है !

वहीं दूसरी तरफ  एक हिंसक आदमी भीड़ इकट्टा करने का गणित बनाता रहता है  वही उसकी शक्ति होती है 
हर वक्त भीड़ में रहने वाला आदमी तनाव ग्रसित मिलेगा क्योंकि भीड़ में  विभिन्न  प्रकार की सोच रखने वाले इंसानों का मेला लगा होता है जो  उस व्यक्ति को तरह-तरह  के अपने विचारों को आदान प्रदान करते हैं जिससे उस व्यक्ति को निर्णय लेने में परेशानी का सबब बनती है जिससे तनाव की स्थिति उसके मस्तिष्क में बनी रहती है !

यह लगातार बने रहने वाला तनाव इंसान को बीमारियों का घर बना देता है !

अतः परिणाम दुख ही  होता है !

अकेलापन क्यों अच्छा होता है?

जब कभी भी इंसान अकेला होता है उसका ध्यान तुरंत अपने आप पर अर्थात स्वयं पर जाता है अपने शरीर पर जाता है अपने मन पर जाता है और अपने विचारों पर जाता है उस वक्त अपने विचारों  की हकीकत उसको समझ आती है उसे सही मायने में अपनी हकीकत का पता चलता है !

उस हक़ीक़त को जानकर वह तुरंत भीड़ में सम्मिलित होने के लिए निकल जाता है चाहे वह भीड़ दोस्तों के माध्यम से हो या रिश्तेदार के माध्यम से हो या फिर समाज के माध्यम से हो या देश के माध्यम से हो या फिर विचार और दर्शन के माध्यम से भीड़ में आकर अपने आप को भूल जाता है
 वास्तव में वह भीड़ में सम्मिलित होकर मुसीबतों दुख और दर्द से दूर रहने की कोशिश करना चाहता है जबकि हकीकत यह है कि उसी भीड़ में सम्मिलित होकर उसे वह दर्द और दुख मिला है !

अकेला होना बहुत बड़ी हिम्मत की बात होती है अकेले होने का अर्थ है कि आप अब ना तो अब अखबार के माध्यम से या टीवी के माध्यम से और ना ही मोबाइल से किसी और व्यक्ति से जुड़े हुए नहीं हैं बस मेरा स्वयं का होना है
  अकेलेपन में स्वयं के होने का  जो आभास है उस पर ध्यान लगाने से पता  चलता है कि इंसान विचारों के माध्यम से अभी भी अकेला नहीं है उसका मन कभी भी उसे अकेला नहीं छोड़ता आहिस्ता आहिस्ता इस आभास को करके अपने अकेले होने का पता चल जाएगा !
जब कुछ भी विचार मन में ना आए तब समझ लेना चाहिए कि अब इंसान अकेला है !

दोस्तों अकेला होना इतना आसान नहीं है जितना हमने इसको समझ रखा है, इसमें इंसान का पूरा जीवन भी खत्म हो जाता है इस अकेले होने के प्रयास  के बाद ही इंसान शेर की तरह दहाड़ सकता है !
 वही इंसान सही मायने में  विजय को प्राप्त होता है
"भगवान बुद्ध ने कहा था
(a)   एकांत
(b)    मौन 
(c)   ध्यान  
यह ही अकेले रहने की प्रक्रिया है"

By Akaroundworld

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